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ख़ुदा कब तल्क जुल्म होते रहेंगे।

खुदा कब तल्क जुल्म होते रहेंगे
ये मासूम मासूम रिश्तों की लाशें
लहू तरबतर कुछ फरिश्तों की लाशें
यूँ ही उनके माँ बाप ढोते रहेंगे
खुदा कबतल्क जुल्म होते रहेंगे
तेरे नाम का लेके झूठा सहारा
जिन्होंने है मासूम बच्चों को मारा
हकीकत में ईमान वाले नही हैं
वो पाकीज़ा क़ुरान वाले नही हैं
यूँ मजहब को बदनाम करते नही हैं
मुजाहिद तो ये काम करते नही हैं
अभी कह रहा हूँ आइंदा कहूँगा
दरिंदे हैं उनको दरिंदा कहूँगा
मेरी कौम के लोग सोते रहेंगे
ख़ुदा कब तल्क जुल्म होते रहेंगे
बहुत जालिमों के बढ़े हौसले हैं
तेरे दीन को ही मिटाने चले हैं
हैं अखबार उनके रिसाले हैं उनके
वो गोरे है पर दिल तो काले हैं उनके
कभी हमको नाहक फ़सादी बताकर
कभी हमको आतंकवादी बताकर
वो नफरत के बीज बोते रहेंगे
ख़ुदा कब तल्क जुल्म होते रहेंगे
है फ़क़त एक उनका नजरिया लहू का
है सहरा पर भी आज दरिया लहू का
ये मासूम मासूम सपनों की लाशें
लहू तरबतर मेरे अपनों की लाशें
जिधर देखता हूँ लहू ही लहू है
ख़ुदा या बता दे क्यूँ ख़ामोश तू है
ये अफ़ग़ान काबुल फिलिस्तीन वाले
ये मजलूम बेबस तेरे दीन वाले
यूँ अश्कों से दामन भिगोते रहेंगे
ख़ुदा कब तल्क जुल्म होते रहेंगे।
●बाली पहलवान
(Advocate & national fitness trainer)

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12 Comments

Mahendra Bhatt

28-Aug-2021 11:05 AM

Fantastic

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🅱🅰🅻🅸

28-Aug-2021 06:09 PM

Heartily thank you

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Fiza Tanvi

27-Aug-2021 03:11 PM

Good

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🅱🅰🅻🅸

28-Aug-2021 06:09 PM

Heartily thank you

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Miss Lipsa

26-Aug-2021 06:36 AM

Waah

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🅱🅰🅻🅸

28-Aug-2021 06:09 PM

Heartily thank you

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